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सफलता की कहानी

युवक की किस्मत बदली सब्जियों की खेती ने, कमाया बेहद मुनाफा

युवक की किस्मत बदली सब्जियों की खेती ने, कमाया बेहद मुनाफा

सब्जियों की खेती के लिए काफी समझ और मेहनत की आवश्यकता होती है, क्योंकि सब्जियों की मांग के हिसाब से किसानों को सब्जी उत्पादन करना बेहद आवश्यक होता है, जिससे कि सब्जियों का सही और लाभप्रद मूल्य मिल सके।

देशभर में भिन्न भिन्न जगहों पर सब्जी की मांग उस क्षेत्र की भौगोलिक स्तिथि के अनुरूप होती है। अलग अलग जगहों पर सब्जी एवं अन्य खाद्यान्न पदार्थों की अहम भूमिका होती है। 

इन सभी बातों को ध्यांन में रखकर कश्मीर के शोपियां जिले के मोहम्मद अयूब ने सब्जियों की खेती की और उन सब्जियों को उगाने में प्राथमिकता दी जिन सब्जियों की बाज़ार में अत्यधिक मांग है, और इस वजह से मोहम्मद अयूब काफी मुनाफा कमाते हैं।

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मोहम्मद अयूब की सफलता की कहानी

मोहम्मद अयूब जम्मू कश्मीर के सोपिया जिले में सफा नगरी नामक गांव में रहते हैं। आजीविका के लिए सरकारी और प्राइवेट नौकरियों की तलाश में इधर से उधर प्रयास किया, लेकिन कोई आय का साधन नहीं मिला। 

उसके बाद मोहम्मद अयूब ने खेती के माध्यम से आय का स्त्रोत बनाने का निश्चय किया और बाजार में कौन सी फसल सबसे अधिक फायदा प्रदान कर सकती है, इस बारे में विचार विमर्श करके अत्याधिक मांग वाली सब्जियों का चयन किया। 

सब्जियों की अच्छी तरह देखरेख करके अयूब ने बेहतर उत्पादन किया और सब्जिओं के उत्पादन से अच्छा खासा मुनाफा कमाया है।

अयूब प्रति वर्ष कितना मुनाफा कमा लेते हैं ?

मोहम्मद अयूब सब्जियों के उत्पादन से लगभग ६ लाख तक का मुनाफा कमा लेते हैं। उपरोक्त में जैसा कि बताया गया है, अयूब ने अत्यधिक मांग वाली सब्जियों का चयन किया जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा कमाने में सहायता हुई। अयूब खुद की २ अकड़ ज़मीन को किसी भी समय खाली नहीं छोड़ते हैं।

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सेब के दाम में भारी गिरावट से सम्बंधित अयूब ने क्या कहा ?

इस सन्दर्भ में अयूब ने बोला है कि सेब के अत्यधिक उत्पादन के चलते सेब के दाम में कमी आयी है, लेकिन मूली के उत्पादन से अच्छा खासा लाभ प्राप्त हो सकता है। उन्होंने कहा कश्मीर की पहचान एक हॉर्टिकल्चर राज्य के रूप में है।

इस राज्य के किसान ने एक साथ विभिन्न फलों का उत्पादन कर रचा इतिहास

इस राज्य के किसान ने एक साथ विभिन्न फलों का उत्पादन कर रचा इतिहास

आज हम आपको गुरसिमरन सिंह नामक एक किसान की सफलता की कहानी बताने जा रहे हैं। बतादें, कि किसान गुरसिमरन ने अपने चार एकड़ के खेत में 20 से अधिक फलों का उत्पादन कर लोगों के समक्ष एक नजीर पेश की है। आज उनके फल विदेशों तक बेचे जा रहे हैं। पंजाब राज्य के मालेरकोटला जनपद के हटोआ गांव के युवा बागवान किसान गुरसिमरन सिंह अपनी समृद्ध सोच की वजह से जनपद के अन्य कृषकों के लिए भी प्रेरणा के स्रोत बन चुके हैं। यह युवा किसान गुरसिमरन सिंह अपनी दूरदर्शी सोच के चलते पंजाब के महान गुरुओं-पीरों की पवित्र व पावन भूमि का विस्तार कर रहे हैं। वह प्राकृतिक संसाधनों एवं पर्यावरण के संरक्षण हेतु अथक व निरंतर कोशिशें कर रहे हैं। साथ ही, समस्त किसानों एवं आम लोगों को प्रकृति की नैतिक एवं सामाजिक जिम्मेदारियों के तौर पर प्राकृतिक संसाधनों को बचाने हेतु संयुक्त कोशिशें भी कर रहे हैं।

किसान गुरसिमरन ने टिश्यू कल्चर में डिप्लोमा किया हुआ है

बतादें, कि किसान गुरसिमरन सिंह ने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना से टिश्यू कल्चर में डिप्लोमा करने के पश्चात अपनी चार एकड़ की भूमि पर जैविक खेती के साथ-साथ विदेशी
फलों की खेती शुरु की थी। गुरसिमरन अपनी निजी नौकरी के साथ-साथ एक ही जगह पर एक ही मिट्टी से 20 प्रकार के विदेशी फल पैदा करने के लिए विभिन्न प्रकार के फलों के पेड़ लगाए थे। इससे उनको काफी ज्यादा आमदनी होने लगी थी। किसान गुरसिमरन सिंह के अनुसार, यदि इंसान के मन में कुछ हटकर करने की चाहत हो तो सब कुछ संभव होता है।

विदेशों तक के किसान संगठनों ने उनके अद्भुत कार्य का दौरा किया है

किसान गुरसिमरन की सफलता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है, कि पीएयू लुधियाना से सेवानिवृत्त डाॅ. मालविंदर सिंह मल्ली के नेतृत्व में ग्लोबल फोकस प्रोग्राम के अंतर्गत आठ देशों (यूएसए, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जापान, जर्मनी, न्यूजीलैंड, स्विटजरलैंड आदि) के बोरलॉग फार्मर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने किसान गुरसिमरन सिंह के अनूठे कार्यों का दौरा किया। यह भी पढ़ें: किसान इस विदेशी फल की खेती करके मोटा मुनाफा कमा सकते हैं

किसान गुरसिमरन 20 तरह के फलों का उत्पादन करते हैं

वह पारंपरिक फल चक्र से बाहर निकलकर जैतून, चीनी फल लोगान, नींबू, अमरूद, काले और नीले आम, जामुन, अमेरिकी एवोकैडो और अंजीर के साथ-साथ एल्फांजो, ब्लैक स्टोन, चोसा, रामकेला और बारामासी जैसे 20 तरह के फलों का उत्पादन करते हैं। किसान गुरसिमरन ने पंजाब में प्रथम बार सौ फल के पौधे लगाकर एक नई पहल शुरु की है। इसके अतिरिक्त युवा किसान ने जैविक मूंगफली, माह, चना, हल्दी, गन्ना, ज्वार,बासमती, रागी, सौंफ, बाजरा, देसी और पीली सरसों आदि की खेती कर स्वयं और अपने परिवार को पारंपरिक फसलों के चक्र से बाहर निकाला है। गुरसिमरन की इस नई सोच की वजह से जिले के किसानों ने भी अपने आर्थिक स्तर को ऊंचा उठाया है। साथ ही, लोगों को पारंपरिक को छोड़ नई कार्यविधि से खेती करने पर आमंत्रित किया है।
किसान फसल की देखभाल के लिए 7 करोड़ का हेलीकॉप्टर खरीद रहा है

किसान फसल की देखभाल के लिए 7 करोड़ का हेलीकॉप्टर खरीद रहा है

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि नक्सल प्रभावित जनपदों में रहने वाले एक किसान ने अपने खेत की देखरेख करने के लिए हेलीकॉप्टर खरीदने जा रहे हैं। तकरीबन 1000 एकड़ जमीन में खेती की देखभाल के लिए 7 करोड़ रुपये का हेलीकॉप्टर उन्होंने पसंद किया है। भारत के सर्वश्रेष्ठ किसान सम्मान से नवाजे गए छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित कोंडा गांव जनपद के निवासी उन्नत किसान राजाराम त्रिपाठी अपनी एक हजार एकड़ खेती की देखरेख करने के लिए हेलीकॉप्टर खरीदने जा रहे हैं। राजाराम त्रिपाठी राज्य के पहले ऐसे किसान हैं, जो कि हेलीकॉप्टर खरीद रहे हैं। 7 करोड़ के खर्चे से खरीदे जा रहे हेलीकॉप्टर के लिए उन्होंने हॉलैंड की रॉबिन्सन कंपनी से सौदा भी कर लिया है। वर्ष भर के अंतर्गत उनके समीप R-44 मॉडल का 4 सीटर हेलीकॉप्टर भी आ जाएगा।

राजाराम सैकड़ों आदिवासी परिवारों के साथ 1000 एकड़ में खेती करते हैं

बतादें, कि किसान राजाराम त्रिपाठी सफेद मूसली, काली मिर्च एवं
जड़ी बूटियों की खेती करने के साथ-साथ मां दंतेश्वरी हर्बल समूह के संचालन में अपनी अलग पहचान स्थापित कर चुके हैं। हाल ही में उनको लगभग 400 आदिवासी परिवार के साथ 1000 एकड़ में सामूहिक खेती करने एवं यह खेती सफल होने के चलते उन्हें सम्मानित भी किया गया था। उन्हें जैविक खेती के लिए भी बहुत बार राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है। साथ ही, वर्तमान में अपनी खेती किसानी में एक और इतिहास रचते हुए 7 करोड़ की लागत से हेलीकॉप्टर खरीदने जा रहे हैं।

बैंक की नौकरी छोड़ शुरू की खेती

बस्तर के किसान राजाराम त्रिपाठी ने कहा है, कि उनका पूरा परिवार खेती पर ही आश्रित रहता है। कई वर्ष पहले उन्होंने अपनी बैंक की छोड़ के वह दीर्घकाल से खेती करते आ रहे हैं। साथ ही, वह मां दंतेश्वरी हर्बल समूह का भी बेहतर ढ़ंग से संचालन कर रहे हैं। बस्तर जनपद में पाई जाने वाली जड़ी बूटियों की खेती कर इसे प्रोत्साहन देने के साथ ही संपूर्ण राज्य में बड़े पैमाने पर इकलौते सफेद मूसली की खेती करते आ रहे हैं। राजाराम त्रिपाठी का कहना है, कि उनके समूह द्वारा यूरोपीय एवं अमेरिकी देशों में काली मिर्च का भी निर्यात किया जा रहा है। वर्तमान में अपनी करीब एक हजार एकड़ खेती की देखभाल के लिए हेलीकॉप्टर खरीदने जा रहे हैं। ये भी देखें: आने वाले दिनों में औषधीय खेती से बदल सकती है किसानों को तकदीर, धन की होगी बरसात

राजाराम को हेलीकॉप्टर से खेती करने का विचार कैसे आया

राजाराम त्रिपाठी ने बताया कि अपने इंग्लैंड एवं जर्मनी प्रवास के दौरान वहां उन्होंने देखा कि दवा और खाद के छिड़काव के लिए हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल हो रहा है। जिससे पैदावार का बेहतरीन परिणाम भी मिल रहा है। इसी को देखते हुए उन्होंने अपने किसान समूह के 1 हजार एकड़ के साथ आसपास के खेती वाले इलाकों में हेलीकॉप्टर से ही खेतो की देखभाल करने का संकल्प किया। साथ ही, हेलीकॉप्टर खरीदने का पूर्णतय मन बना लिया और हॉलैंड की रॉबिंसन कंपनी से सौदा भी कर लिया। राजाराम त्रिपाठी का कहना है, कि वे कस्टमाइज हेलीकॉप्टर बनवा रहे हैं। जिससे कि इसमें मशीन भी लगवाई जा सकें। उन्होंने कहा है, कि फसल लेते वक्त विभिन्न प्रकार के कीड़े फसलों को हानि पहुंचाते हैं। हाथों से दवा छिड़काव से भी काफी भूमि का हिस्सा दवा से छूट जाता है, जिससे कीटों का संक्रमण काफी बढ़ जाता है। हेलीकॉप्टर से दवा छिड़काव से पर्याप्त मात्रा में फसलों में दवा डाली जा सकती है, जिससे फसलों को क्षति भी नहीं पहुंचती।

हेलीकॉप्टर उड़ाने का प्रशिक्षण ले रहे राजाराम के भाई और बेटा

राजाराम त्रिपाठी ने कहा है, कि हेलीकॉप्टर को चलाने के लिए उनके भाई व बेटे को उज्जैन में स्थित उड्डयन अकादमी में हेलीकॉप्टर उड़ाने का प्रशिक्षण लेने के लिए भेजने की तैयारी हो चुकी है। प्रशिक्षण लेने के बाद उनके भाई व बेटे हेलीकॉप्टर से खेती की देखभाल करेंगे। उन्होंने कहा कि बस्तर में किसान की छवि नई पीढ़ी को खेती किसानी के लिए प्रेरित नहीं कर सकती। नई पीढ़ी के युवा आईटी कंपनी में नौकरी कर सकते हैं। लेकिन वह खेती को उद्यम बनाने की कोशिश नहीं करते। इसी सोच में तब्दीली लाने के लिए वह हेलीकॉप्टर खरीद रहे हैं। जिससे कि युवा पीढ़ी में खेती किसानी को लेकर एक सकारात्मक सोच स्थापित हो सके। ये भी देखें: Ashwgandha Farming: किसान अश्वगंधा की खेती से अच्छी-खासी आमदनी कर रहे हैं

सालाना कितने करोड़ का टर्न ओवर है

राजाराम का कहना है, कि उनके भाई व बच्चे भी नौकरी की वजह खेती किसानी कर रहे हैं। साथ ही, खेती बाड़ी में उनको काफी रूचि भी है। खेती-बाड़ी और दंतेश्वरी हर्बल समूह से उनका वार्षिक टर्न ओवर लगभग 25 करोड़ रुपए है। अब उनके साथ-साथ आसपास के आदिवासी किसान भी उन्नत किसान की श्रेणी में आ गए हैं। उनके द्वारा भी हर्बल उत्पादों का उत्पादन किया जा रहा है, जिसमें सफेद मूसली एवं बस्तर की जड़ी-बूटी भी शम्मिलित है। गौरतलब है, कि उनकी इसी सोच व खेती किसानी के लिए किए जा रहे नए नए प्रयास और उससे मिल रही सफलता की वजह से राजाराम त्रिपाठी चार बार सर्वश्रेष्ठ किसान अवार्ड से सम्मानित हो चुके हैं।
किसान ने पारंपरिक खेती छोड़ वैज्ञानिक विधि से धनिया की खेती कर कमाया मोटा मुनाफा

किसान ने पारंपरिक खेती छोड़ वैज्ञानिक विधि से धनिया की खेती कर कमाया मोटा मुनाफा

किसान रमेश विठ्ठलराव विगत दिनों अंगूर की खेती करते थे। परंतु, अंगूर की खेती में उन्हें घाटा उठाना पड़ा। इसके पश्चात उन्होंने धनिया की खेती करना चालू कर दिया। विशेष बात यह है, कि धनिया की खेती शुरू करने पर प्रथम वर्ष ही रमेश विठ्ठलराव को 25 लाख रुपये का मुनाफा अर्जित हुआ। लोगों का मानना है, कि सिर्फ गेहूं, मक्का, बाजार और धान जैसी पारंपरिक फसलों की खेती से ही बेहतरीन आमदनी की जा सकती है। परंतु, इस तरह की कोई बात नहीं है। अगर कृषक भाई आधुनिक विधि से हरी सब्जी एवं मसाले की खेती करते हैं, तो बहुत ही कम वक्त में वह धनवान बन सकते हैं। महाराष्ट्र के लातुर जनपद में एक किसान ने कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है। वह धनिया की खेती से धनवान हो गया है। अब उनकी चर्चा संपूर्ण जनपद में हो रही है। लोग उनसे धनिया की खेती करने के गुर सीख रहे हैं।

रमेश ने पारंपरिक खेती छोड़ वैज्ञानिक विधि से धनिया की खेती की

जानकारी के अनुसार, किसान का नाम रमेश विठ्ठलराव है। पहले वह पारंपरिक फसलों की खेती किया करते थे। इससे उन्हें इतनी ज्यादा आमदनी नहीं हो रही थी। ऐसी स्थिति में उन्होंने 4 साल पहले पारंपरिक फसलों की खेती छोड़ वैज्ञानिक विधि से धनिया की खेती चालू कर दी। मुख्य बात यह है, कि धनिया की खेती चालू करते ही रमेश विठ्ठलराव की किस्मत चमक गई। उन्होंने धनिया बेचकर बेहद ही आलीशान घर बनवाया है, जिसकी सुन्दरता वास्तव में देखने लायक है।

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रमेश विठ्ठलराव विगत चार वर्षों से 5 एकड़ जमीन में धनिया की खेती कर रहे हैं।

रमेश विठ्ठलराव विगत चार वर्षों से 5 एकड़ जमीन में धनिया की खेती कर रहे हैं। उन्होंने बताया है, कि धनिया बेचकर अभी तक वे लाखों रुपये की आमदनी कर चुके हैं। रमेश विठ्ठलराव की मानें तो लातूर जनपद सूखा प्रभावित क्षेत्र है। यहां पर बहुत ही कम बारिश होती है। ऐसी स्थिति में पारंपरिक फसलों की खेती से किसानों को उतनी अच्छी आमदनी नहीं हो पाती है। बहुत बार तो कृषक भाई लागत तक भी नहीं निकाल पाते हैं। यही वजह है, कि मैंने धनिया की खेती करने का निर्णय लिया।

रमेश ने वर्ष 2019 में धनिया उत्पादन आरंभ किया था

विशेष बात यह है, कि किसान रमेश ने वर्ष 2019 में धनिया की खेती की शुरुआत की थी। पहले वर्ष ही उन्हें धनिया बेचकर 25 लाख रुपये की आय अर्जित हुई। बतादें, कि 5 एकड़ जमीन में धनिया बोने में उन्हें सिर्फ एक लाख रुपये की लागत लगानी पड़ी। इस प्रकार उन्होंने 24 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा अर्जित किया। इसी प्रकार उन्होंने साल 2020 में 16 लाख, साल 2021 में 14 लाख, 2022 में 13 लाख रुपये का धनिया बेचा। इस साल भी वे अभी तक धनिया बेचकर 16 लाख 30 हजार रुपए कमा चुके हैं। इस प्रकार रमेश ने धनिया बेचकर कुल 84 लाख रुपये से भी ज्यादा की कमाई करली है।
किसान श्रवण सिंह बागवानी फसलों का उत्पादन कर बने मालामाल  

किसान श्रवण सिंह बागवानी फसलों का उत्पादन कर बने मालामाल  

किसान श्रवण सिंह के बगीचे में 5 हजार अनार के पेड़ हैं। बतादें कि लगभग इतने ही पेड़ उन्होंने अपने भाई के फॉर्म हाउस में लगाए हैं। इसके अतिरिक्त वे ताइवान पिंक अमरूद, केसर आम की एक विशेष किस्म की भी खेती कर रहे हैं। वह सभी फसलों की खेती जैविक विधि के माध्यम से करते हैं। वर्तमान में राजस्थान में किसान पारंपरिक खेती करने की जगह बागवानी में अधिक परिश्रम कर रहे हैं। इससे यहां के किसान बागवानी से फिलहाल खुशहाल हो गए हैं। उनकी कमाई लाखों में हो रही है। आज हम राजस्थान के एक ऐसे किसान के विषय में बात करेंगे जो चीकू, खीरे, नींबू, आम और अनार की खेती से साल में 40 लाख रुपये की आय कर रहा है। विशेष बात यह है, कि इस किसान द्वारा उगाए गए अनार की माँग विदेशों तक में है।

श्रवण सिंह एक पढ़े-लिखे ग्रेजुएट किसान हैं

दरअसल, हम बात कर रहे हैं राजस्थान के सिरोही जनपद के रहने वाले किसान श्रवण सिंह के विषय में। श्रवण सिंह पढ़े- लिखे ग्रेजुएट किसान हैं। पहले वह रेडीमेड कपड़ों का व्यवसाय करते थे। परंतु, इस व्यवसाय में उनका मन नहीं लग रहा है। अब ऐसी स्थिति में श्रवण सिंह ने बागवानी करने का निर्णय लिया। वे आधुनिक विधि के माध्यम से  चीकू, खेरी, नींबू, आम और सिंदूरी अनार की खेती कर रहे हैं। इससे उन्हें वार्षिक 40 लाख रुपये की आमदनी हो रही है।

अंगूर की खेती पर प्रयोग चल रहा है

वर्तमान में श्रवण सिंह अंगूर के ऊपर भी प्रयोग कर रहे हैं। उनका कहना है, कि अनार, नींबू, और अमरूद की बिक्री करके वह साल में 40 लाख रुपये की कमाई कर लेते हैं।

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नींबू की खेती इतने हेक्टेयर रकबे में शुरू की गई

श्रवण सिंह के कहने के अनुसार पहले उन्होंने बागवानी की शुरुआत क्रॉप पपीते से की थी। इसमें उन्हें काफी मोटा मुनाफा प्राप्त हुआ। ऐसे में वह आहिस्ते-आहिस्ते बागवानी का क्षेत्रफल बढ़ाते गए। ऐसे में उन्हें तीसरे वर्ष से 18 लाख रुपये की आय होने लगी। इसके उपरांत उन्होंने वर्ष 2011 में 12 हेक्टेयर में नींबू की खेती चालू कर दी। उसके बाद साल 2013 से उन्होंने अनार के भी पौधे रोपने शुरू कर दिए। 2 साल के उपरांत से ही अनार का उत्पादन शुरू हो गया। श्रवण सिंह ने बताया है, कि वे अपने खेत में उगाए गए अनार की सप्लाई बांग्लादेश, नेपाल और दुबई में भी करते है। मुख्य बात यह है, कि लैब में जाँच होने के बाद उनके उत्पादों का निर्यात होता है। इसके अतिरिक्त वे रिलायंस फ्रेश, सुपरमार्केट एवं जैन इरीगेशन जैसी मल्टिनेशनल कंपनियों को भी फल सप्लाई करते हैं।
महिला किसान शिखा चौधरी ने अन्य महिलाओं व युवाओं के लिए भी रोजगार के अवसर प्रदान किए हैं

महिला किसान शिखा चौधरी ने अन्य महिलाओं व युवाओं के लिए भी रोजगार के अवसर प्रदान किए हैं

किसान शिखा चौधरी बाकी महिलाओं के लिए आदर्श हैं। वह अपने परिश्रम और समझदारी से आज काफी मुनाफा अर्जित करने के साथ युवाओं को रोजगार के अवसर भी प्रदान कर रही हैं। जैसा कि हम सब जानते हैं, कि महिलाएं प्रत्येक क्षेत्र में पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं। अगर हम बात करें देश की राजनीति एवं या फिर कृषि क्षेत्र, आज हम आपको एक ऐसी ही महिला किसान की दास्ताँ बताएंगे जो अन्य महिलाओं के लिए एक मिसाल हैं। यह महिला किसान बेहद मुनाफा अर्जित कर रहीं हैं। आगे इस लेख में आपको बताऐंगे इस महिला किसान शिखा चौधरी के विषय में।

महिला किसान शिखा चौधरी कहाँ की रहने वाली हैं

आपकी जानकारी के लिए बतादें कि यह किसान महिला शिखा चौधरी हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जनपद की रहने वाली हैं। यह एक महिला किसान होने के साथ महिला कृषि-उद्यमी भी हैं। महिला किसान ने KVK की सहायता से खाद्य उत्पादों के विपणन की जानकारी हांसिल की और आज के समय में अच्छा मुनाफा हांसिल कर रहीं हैं। इसके अतिरिक्त ये एक महिला स्वयं सहायता समूह का भी प्रतिनिधित्व कर रही हैं। प्रारंभिक समय में इन पर बहुत सारी जिम्मेदारी थीं। साथ ही, मंदी आ जाने की वजह से जनपद में नौकरी के अवसर भी कम हो गए। इन सब बातों का ख्याल रखते हुए शिखा ने एक स्वयं सहायता समूह की शुरुआत की।

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शिखा चौधरी ने युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान किए

साल 2017-18 के मुकाबले में फिलहाल उनका समूह 1 लाख 38 हजार रुपये की अतिरिक्त आमदनी कमा रहा है। शिखा चौधरी ने बाकी बेरोजगार युवाओं को भी रोजगार प्रदान किया है।

शिखा चौधरी ने तैयार किए विभिन्न उत्पाद

शिखा के परिवार के पास 10 कनाल भूमि का टुकड़ा है। जहां पर वह गेहूं, धान और सब्जियों की खेती करती हैं। इसके साथ ही शिखा ओएस्टर मशरूम की खेती और विपणन में लगी हुई हैं। साल 2016 में केवीके की ओर से आयोजित व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम में वैज्ञानिक प्रसंस्करण के साथ खाद्य विपणन उत्पादों के बहुत सारे पहलुओं के विषय में जानकारी प्राप्त की। इसके पश्चात उन्होंने अपने समूह के कई सारे उत्पाद तैयार किए, जिनमें सीरा, सेपुबादी, दलिया, अचार, आम पाउडर, त्रिफला चूर्ण, सिवई इत्यादि शम्मिलित हैं।
मैना चौधरी बागवानी के क्षेत्र में बनीं महिलाओं के लिए मिशाल

मैना चौधरी बागवानी के क्षेत्र में बनीं महिलाओं के लिए मिशाल

हरियाणा राज्य के पंचकूला की मैना चौधरी विगत 25 वर्षों से खेती करती आ रही हैं। साथ ही, उन्होंने बागवानी के क्षेत्र में काफी नाम रोशन किया है। प्रगत व उन्नत विधियों के माध्यम से सब्जी की खेती कर आज मैना चौधरी खूब मोटी आमदनी कमा रही हैं। खेती-किसानी में महिलाओं की हिस्सेदारी काफी बढ़ती जा रही है। हालाँकि, महिलाएं पूर्व से ही कृषि कार्यों में अपने परिवार में सहयोग करती थीं। परंतु, आज पूर्ण जिम्मेदारी और सतर्कता के साथ महिलाऐं खेती की दशा एवं दिशा को बदल रही हैं। आपको बतादें कि ऐसी ही महिला किसानों में हरियाणा के पंचकूला की किसान मैना चौधरी भी शम्मिलित हैं। मैना चौधरी आज सीजनल एवं ऑफ सीजनल सब्जियों का उत्पादन कर रही हैं। इस कार्य में मैना चौधरी को बागवानी विभाग का भी पूरा सहयोग और मदद मिलती है।

शौक के रूप में खेती से कमा रही मुनाफा

आज के समय मैना चौधरी उन महिलाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत और मिशाल बन रही हैं, जो बागवानी में अपने बल पर कुछ करना चाहती है। मैना चौधरी को आरंभ से ही खेती किसानी का बेहद शौक था। इसी शौक को 25 वर्ष पूर्व अपने कार्य में परिवर्तित क दिया। मैना चौधरी का कहना है, कि हम खेती के क्षेत्र में बहुत कुछ नवीन कर सकते हैं। अपने नवाचारों को लेकर किसान भाई-बहनों को आगे बढ़ना चाहिए। यदि सही तरीका मालूम हो तो किसान बहनें भी हर प्रकार की फसल से मोटा और अच्छा खासा उत्पादन उठा सकती हैं।

मैना चौधरी मौसमी और गैर मौसमी दोनों तरह की सब्जियां उगाती हैं

यह कोई जरूरी नहीं कि नकदी फसलों के द्वारा ही अच्छा मुनाफा कमाया जाता हो। आज के दौर में किसान करेला, टमाटर, लौकी, तोरई, खीरा जैसी सब्जी की फसलों की आधुनिक खेती करके उत्तम पैदावार प्राप्त कर रहे हैं। मैना चौधरी भी हर प्रकार की मौसम-बेमौसमी सब्जियों का उत्पादन करती हैं। इनका ध्यान केवल वर्षभर खाई जाने वाली सब्जियों की पैदावार पर होता है। बागवानी फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए मैना चौधरी द्वारा पॉलीहाउस भी स्थापित किया जाएगा। अब सब्जियों का विक्रय करने हेतु बार-बार बाजार नहीं जाना पड़ता, बल्कि ये थोक में ही बिक जाती है।

बागवानी विभाग की तरफ से भी मिलती है मदद

मैना चौधरी का कहना है, कि उन्हें बागवानी विभाग से भरपूर सहायता प्राप्त हो रही है। बागवानी विभाग की टीम कई बार उनके खेत पर मुआयना करने आती रहती है। उन्हें वक्त-वक्त पर नई योजनाओं के बारे में जानकारी भी प्रदान की जाती हैं। इन योजनाओं में आवेदन करके मैना चौधरी को खूब लाभ भी हुआ है। इससे बागवानी के खर्चे को कम करने में सहायता प्राप्त होती है। मैना चौधरी द्वारा अपने खेतों पर सब्जियों सहित नींबू एवं अनार के वृक्ष भी रोपे गए हैं। वो कहती हैं, कि उचित फसल का चयन करके किसान भाई मोटा मुनाफा उठा सकते हैं।